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(पीएम) संवाददाता बदायूं (shayar)महान शायर और गीतकार शकील बदायूं नाम पर शहर में एक ऑडिटोरियम बनाने की मांग उठी है जन्म तिथि पर जगह-जगह शकील बदायूनी को याद किया गया वक्ताओं ने उनके हर अंदाज काे बयां किया और सराहाशिक्षित युवा वर्ग यह मोहल्ला वैदाे टोला कार्यालय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया
साहित्यिक सेवाओं को याद किया गया
जिसमें शकील बदायूनी साहित्यिक सेवाओं को याद किया गया।। संगठन संस्थापक अामिर सुल्तानी ने कहा कि शकील बदायूनी जैसी शख्सियत सदियों में पैदा होती है उनका लिखा गीत “इंसाफ की डगर पर बच्चों दिखाओ चल के” हमेशा प्रासंगिक रहेगा । इसको सुनकर नौनिहालों के मन में देश प्रेम के अंकुर फूटते हैं ।
लगभग 100 सुपरहिट फिल्मों में गीत लिखे और 8 बार फिल्म फेयर अवार्ड हासिल किया
इसी तरह “अपनी आजादी को हम हरगिज भुला सकते नहीं सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं” गीत भी अमर है। उन्होंने कहा कि शकील बदायूनी ने लगभग 100 सुपरहिट फिल्मों में गीत लिखे और 8 बार फिल्म फेयर अवार्ड हासिल किया लेकिन अफसोस ऐसी प्रतिभा के नाम पर उनके ही शहर में कुछ नहीं है शहर में शकील बदायूनी नाम से एक ऑडिटोरियम होना चाहिए ।संस्था के संरक्षक अरशद रसूल ने कहा कि आमतौर पर शकील बदायूनी को फिल्मी शायर कहां जाता है जबकि साहित्य में भी उनका भरपूर योगदान है उनकी किताबें रानाइयां ,नगमा-ए- फिरदोस ,सनमाे हरम, धरती को आकाश पुकारे आदि अद्वितीय रचनाएं है । इसी तरह उन्होंने नात, भजन ,गज़ल, नज़्म ,सभी में अपना हुनर हुनर दिखाया ।
इस मौके पर मौजूद लोगों ने ऑडिटोरियम बनाने के लिए पत्र लिखा । यहां वीरेंद्र जाटव शाहबाज़ हुसैन , नाज़ली खान ,सोहेल सैफी, शमशाद सिद्दीकी,नितिन गुप्ता, रेहान प्रधान ,आकाश भटनागर, गुड्डू अली,समीर खान ,अहसन सिद्दीकी , जुबेर आरिफ, जुनेद सुल्तानी, अासिम सुल्तानी ,कबीर अंसारी,साजिद मिर्ज़ा आदि मौजूद रहे।