प्रशासन की नाक के नीचे उड़ाई जा रहे हैं बालश्रम कानून की धज्जियां(संतकबीरनगर से अमित प्रताप मिश्र)
जिला अधिकारी समेत जिले के सभी अधिकारी धनघटा तहसील में चल रहे संपूर्ण समाधान दिवस में थे मौजूद, थाना धनघटा के सामने तहसील परिसर में हो रहे इंटरलॉकिंग के काम में नाबालिक बच्चे कर रहे हैं काम
धनघटा तहसीलदार क्षेत्र में खुलेआम बालश्रम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। वैसे तो हर चौराहे, हर नुक्कड़ पर बच्चे चाय की दुकानों में बच्चे कप-गिलास धोते हुए दिख जाते हैं। गुटखे और पान-मसालों का दुकानों में भी बच्चों का इस्तेमाल किया जाता है। गरीबी के चलते कमाने को मजबूर इन बच्चों की आंखें स्कूल जाती राहों को ताकती हैं। बावजूद इसके पुलिस प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। बचपन एक ऐसी उम्र होती है, जब बिना किसी तनाव के मस्ती से जिंदगी का आनंद लिया जाता है। नन्हे होंठों पर फूलों सी खिलती हंसी, मुस्कुराहट, शरारत, जिद पर अड़ जाना यह सब बचपन की पहचान होती है। इन सबके उलट कुछ बच्चे अपने बचपन से महरूम हो गए हैं। उनका बपन कभी चाय की दुकान में जूठे-बर्तन धोते हुए खत्म हो रहा है। दुकानों पर सामान बेचते-बेचते उनके भविष्य का सपना भी कहीं बिक जाता है। तो वहीं धनघटा तहसील परिसर में लग रहे हैं इंटरलॉकिंग के कार्य में बच्चों से बखूबी कार्य कराया जा रहा है। मंगलवार को संपूर्ण समाधान में जिले के आला अफसर लोगों की फरियाद सुन रहे थे और बाहर नाबालिक बच्चे इंटरलॉकिंग का कार्य कर रहे थे। परंतु किसी की निगाह इन नाबालिक बच्चों की तरफ नहीं पड़ी। इस दौरान हमे खुलेआम बाल श्रम कानून का उल्लंघन दिखाई पढ़ रहा है । जब बच्चों की तस्वीर लेना चाहता बच्चे इधर उधर काम छोड़कर भागने लगे किसी तरह से जब उनसे उनका नाम और पता पूछा गया तो पहले वे नाम और पता बताने से कतर आने लगे बाद में इधर उधर की बात करके भाग निकले। जहां देश का बाल श्रम निषेध अधिनियम कानून 1986 के तहत 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी तरह के शारिरीक श्रम की अनुमति नहीं देता। वहीं धनघटा थाने के सामने तहसील परिसर में जिले के डीएम से लगाए सभी शासनिक व प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में ही नाबालिक बच्चों से ठेकेदार द्वारा बेलचा चलाया जा रहा है।
मामला संज्ञान में आ चुका है ऐसा करने वाले को बक्सा नहीं जाएगा। नाबालिक बच्चों द्वारा कार्य करने वाले इंटरलॉकिंग के ठेकेदार पर जांच के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी